What is Kaveri Engine: क्या है कावेरी इंजन? अमित शाह ने क्यों किया इसका जिक्र, फाइटर जेट और रूस से खास कनेक्शन

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मदुरै. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर पाकिस्तान पर हमला बोला और कहा कि पहलगाम में आतंकियों ने निहत्थे लोगों की हत्या की, जिसके बाद हमारे सैनिकों के पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का सफाया करने का काम किया. उन्होंने कहा, “हमारी सरकार आने से पहले कई हमले हुए, लेकिन कभी कोई जवाब नहीं दिया गया, जबसे नरेंद्र मोदी की सरकार आई है तबसे पुलवामा, उरी और पहलगाम के हमले का जवाब दिया है. पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा है कि अगर कोई गोली भी चलाएगा तो उसका जवाब गोले से दिया जायेगा.”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तारीफ करते हुए अमित शाह ने कहा, “पकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर हमने पाकिस्तान को मारा है.” इस दौरान उन्होंने कावेरी इंजर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, “रक्षा क्षेत्र में जब बात होती है तो कावेरी इंजन की बात होती है. और हमारे देश में बने मिसाइल ने पकिस्तान के वायुसेना के अड्डे को तहस नहस किया, जिसे पूरी दुनिया ने देखा है.”

तो चलिए जानते हैं कि क्या है कावेरी इंजन?

कावेरी इंजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत भारत के गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (जीटीआरई) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित लड़ाकू जेट इंजन प्रोजेक्ट है. इसका उपयोग लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) को शक्ति प्रदान करने और विदेशी जेट इंजनों पर निर्भरता कम करने के लिए किया जाता है. यह 80 किलोन्यूटन (kN) थ्रस्ट वाला एक लो बाईपास, ट्विन स्पूल टर्बोफैन इंजन है.

कावेरी प्रोजेक्ट भारत में 1980 के दशक में भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस को शक्ति प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी. इंजन में हाई स्पीड और हाई टेम्प्रेचर की स्थितियों में थ्रस्ट लॉस को कम करने के लिए एक फ्लैट-रेटेड डिज़ाइन है, और बढ़ी हुई विश्वसनीयता के लिए मैनुअल ओवरराइड के साथ एक ट्विन-लेन फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल (FADEC) सिस्टम शामिल है.

कावेरी इंजन बनाने में देरी क्यों हुई?
कावेरी इंजन को 2008 में तकनीकी चुनौतियों के कारण तेजस से अलग कर दिया गया था, जिनमें अपेक्षित थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात प्राप्त करने में असमर्थता, उच्च तापमान धातु विज्ञान में कमियां तथा आफ्टरबर्नर प्रदर्शन और विश्वसनीयता में समस्याएं शामिल थीं. कावेरी इंजन तेजस एमके1 की जरूरतों को पूरा नहीं करता था, इसलिए लड़ाकू विमान को अमेरिकी निर्मित GE F404 इंजन से संचालित किया जाना था. तकनीकी चुनौतियों के अलावा, भारत के पास ऐसे इंजनों के लिए परीक्षण सुविधाओं की भी कमी थी. भारत को कावेरी इंजन के परीक्षण के लिए रूस पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे शेड्यूल में देरी होती है.

अपने शुरुआती चरण में भारत ने विदेशी मदद के बिना, स्वदेशी रूप से कावेरी इंजन विकसित करने की कोशिश की. इससे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में देरी हुई, जैसे कि फ्रांस के स्नेकमा/सफ्रान के साथ सहयोग, जो बहुत देर से हुआ. कावेरी इंजन परियोजना को निर्णय लेने में देरी, उद्योग समन्वय की कमी, बजट सीमाओं और अकुशल परियोजना प्रबंधन का भी सामना करना पड़ा.

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