Public Opinion: बलिया के नरही थाना में वसूली का सच! वसूली बंद या फिर जारी, क्या अब बदल गए हालात ?

Last Updated:
Public Opinion: बलिया के नरही थाने में जुलाई 2024 में डीआईजी और एडीजी ने सिविल ड्रेस में छापा मारा. यहां हर महीने 1.5 करोड़ की वसूली होती थी. पूरी चौकी को सस्पेंड कर दिया गया था. ‘लाल डायरी’ से कई राज़ खुले. यह…और पढ़ें

नरही थाना की छापेमारी यादगार
हाइलाइट्स
- बलिया के नरही थाने में जुलाई 2024 में डीआईजी और एडीजी ने छापा मारा था.
- यहां हर महीने 1.5 करोड़ की वसूली होती थी.
- पूरी चौकी को सस्पेंड कर दिया गया था.
बलिया: बलिया के नरही थाने में जुलाई 2024 में जो कुछ हुआ, वो आज भी यूपी पुलिस के लिए एक बड़ा सबक बना हुआ है. दरअसल, जनता की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद डीआईजी वैभव कृष्ण और एडीजी पीयूष मोर्डिया ने खुद सिविल ड्रेस में थाने पर अचानक छापा मारा. उस वक्त वहां का नज़ारा देखकर हर कोई हैरान रह गया.
लाल डायरी से उजागर हुए राज
इस कार्रवाई के दौरान पुलिस के हाथ एक “लाल डायरी” भी लगी, जिसमें कथित तौर पर वसूली के पूरे रेट और रूटीन का ब्यौरा दर्ज था. यही डायरी अब भी कई राज़ समेटे हुए है. इस घटना के बाद पूरे जनपद के थाना प्रभारियों में डर बैठ गया और वसूली की पुरानी प्रथा में बड़ी गिरावट दर्ज की गई.
व्यापारी नेता रजनीकांत सिंह का कहना है कि योगी सरकार में पहली बार ऐसा हुआ है कि पुलिस के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई की गई. वहीं स्थानीय निवासी मंजय सिंह का कहना है कि सामने से कोई अब वसूली नहीं करता, लेकिन पर्दे के पीछे सब कुछ हो रहा है. हिम्मत किसी की नहीं कि खुलकर उगाही करे.
जनहित में जरूरी है ऐसी कार्रवाई
वरिष्ठ नागरिक नरेंद्र मिश्रा और सामाजिक कार्यकर्ता संध्या पांडेय का भी यही कहना है कि नरही थाना कांड ने सिस्टम को झकझोर कर रख दिया. जिस तरह से डीआईजी और एडीजी ने खुद आगे बढ़कर कार्रवाई की, वह बेहद जरूरी था. लोग आज भी उस दिन को याद करते हैं जब पुलिस ने खुद पुलिस की गड़बड़ियां उजागर कीं.