Building with old materials may cause Shani dosha says astrologer। सपनों का घर न बन जाए मुसीबत का कारण! जानिए पुराने मटेरियल और शनि दोष का असली रिश्ता, क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

Shani Dosh: जब भी कोई इंसान अपने लिए एक घर बनवाने की सोचता है, तो उसमें दिल और पैसा दोनों लगता है, ये सिर्फ ईंट-पत्थर की दीवारें नहीं होतीं, ये सपनों की बुनियाद होती है. ऐसे में अगर निर्माण के समय कुछ छोटी-बड़ी बातें नजरअंदाज कर दी जाएं, तो बाद में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इन्हीं बातों में से एक है पुराने या सेकंड हैंड मटेरियल का इस्तेमाल. कई लोग यह सोचते हैं कि अगर किसी टूटे हुए घर से ईंटें, सरिया, दरवाजे या खिड़कियां बच गई हैं, तो उन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे खर्चा कम होगा और काम भी जल्दी निपटेगा. लेकिन भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा की मानें, तो ये सोच ज्यादा समझदारी भरी नहीं होती.
दूसरी तरफ, अगर शनि की स्थिति अच्छी हो, तो ये मटेरियल फायदा भी पहुंचा सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में लोग अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाए बिना ही ऐसे मटेरियल का इस्तेमाल कर बैठते हैं, जो बाद में भारी पड़ जाता है.
पुराने मटेरियल की क्वालिटी
इसके अलावा, पुराने मटेरियल की क्वालिटी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता. ईंटें अंदर से कमजोर हो सकती हैं, लोहा जंग खा चुका हो सकता है, और लकड़ी में दीमक लग चुकी हो. इन चीजों से बने घर की उम्र कम हो जाती है और सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है.
अब सवाल उठता है कि अगर बजट कम हो तो क्या करें? इसका सीधा सा जवाब है धीरे बनाओ, लेकिन सही बनाओ. नया मटेरियल थोड़ा महंगा जरूर होता है, पर वह टिकाऊ होता है और आपके परिवार की सुरक्षा और सुख-शांति को बनाए रखने में मदद करता है.
घर एक बार बनता है
घर एक बार बनता है, उसे बनाते वक्त कोई भी समझौता नहीं करना चाहिए. थोड़े से पैसों की बचत करने के चक्कर में अगर बाद में लाखों का नुकसान हो जाए, तो वह घाटे का सौदा ही कहलाता है. इसलिए सोच-समझकर, विशेषज्ञों की सलाह लेकर, और अपनी राशि या ग्रहों की स्थिति पर ध्यान देते हुए निर्माण कार्य करवाना सबसे अच्छा होता है.