Jamui: दुबई और अमेरिका तक सप्लाई होता है यहां का पेड़ा, सालाना 35 करोड़ का कारोबार! इसे कहते हैं, ‘पेड़े वाला गांव’

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Peda Wala Gaon: बिहार में एक गांव ऐसा भी है, जो कारोबार के मामले में एक नई कहानी लिख रहा है. यह गांव महीने में 3 करोड़ रुपए का कारोबार करता है, जबकि सालाना कारोबार 35 करोड़ रुपए से अधिक होता है. इस गांव को ‘पेड़ा वाला गांव’ के नाम से जाना जाता है. दरअसल, जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के घनबेरिया गांव को पेड़ा वाला गांव कहा जाता है.

यहां करीब 15 से अधिक पेड़े की दुकानें मौजूद हैं, जिनका पेड़ा देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है. गांव के ज्यादातर लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं और पिछले 40 सालों से भी अधिक समय से इस गांव का पेड़ा ग्राहकों की पहली पसंद बना हुआ है.

14 हजार क्विंटल दूध की होती है खपत
स्थानीय कारोबारी संजीव सिंह ने बताया कि इस गांव में करीब 15 से अधिक दुकानें हैं. हर दुकान में हर रोज ढाई क्विंटल तक दूध की खपत होती है और रोजाना इस गांव में 40 क्विंटल दूध की खपत होती है. यह दूध आसपास के इलाकों से खरीदा जाता है. दुकानदार खुद भी दूध के लिए पशुपालन करते हैं. साल भर में करीब 14 हजार क्विंटल से अधिक दूध की खपत होती है.

अगर बात पेड़ा कारोबार की करें तो इस गांव में हर दुकान में रोज 70 से 80 किलो पेड़ा तक का कारोबार होता है. इतना ही नहीं, कई दुकानों में हर दिन एक क्विंटल से भी अधिक पेड़ा बेचा जाता है. अगर सभी दुकानों को मिला दिया जाए तो रोजाना कई क्विंटल पेड़ा की बिक्री होती है और साल भर में इस गांव से करीब 10 से 12 लाख से भी अधिक पेड़ा बेचा जाता है.

सालाना 35 करोड़ का होता है कारोबार
संजीव कुमार सिंह बताते हैं कि यहां मिलने वाले पेड़ा की कीमत 280 रुपया प्रति किलो है. इस हिसाब से देखा जाए तो इस गांव में हर दुकान में हर रोज करीब 20 हजार से अधिक का पेड़ा बेचा जाता है और रोजाना 3 लाख से भी अधिक रुपए का कारोबार होता है. महीने में यह कारोबार 3 करोड़ से भी अधिक का हो जाता है.

सालाना कारोबार की बात करें तो इस गांव से 35 करोड़ से भी अधिक का पेड़ा पूरे साल बेचा जाता है. उन्होंने बताया कि आसपास के इलाके के लोग तो पेड़ा खरीदते ही हैं, बिहार के सभी जिलों में यहां का पेड़ा बेचा जाता है. पटना जैसे बड़े शहरों में घनबेरिया पेड़ा का स्टाल भी लगाया गया, जहां से लोग इसकी खरीदारी करते हैं.

यूएस, दुबई जैसे देश में भी भेजा जाता है यहां का पेड़ा
स्थानीय निवासी मणिकांत सिंह बताते हैं कि यहां का पेड़ा इतना प्रसिद्ध है कि यूएई, अमेरिका जैसे देशों में रहने वाले लोग भी यहां का पेड़ा लेकर जाते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना के समय में बहुत सारे लोग अलग-अलग शहरों में काम करते थे. जब उनकी कंपनियां बंद हो गईं और उनकी नौकरी चली गई, तब वे भी गांव चले आए और उन्होंने इस कारोबार को अपना लिया.

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