14 saal tak ke bacche ko paap kyu nahi lagta hai know reason : 14 साल तक के बच्चों को क्यों नहीं लगता है पाप?

कहा जाता है कि बच्चे भगवान का रूप हैं, इसकी वजह से उनकी बातों का दोष नहीं लगता है. बच्चे पाप से मुक्त होते हैं. 14 साल तक के बच्चों को किसी भी प्रकार का पाप नहीं लगता है. ऐसा क्यों है? इसका जवाब महाभारत में छिपा है, जो धर्मराज यानि यमराज के श्राप से जुड़ा हुआ है. महर्षि मांडव्य ने धर्मराज यमराज को श्राप दिया, जिसकी वजह से उनको दासी पुत्र विदुर के रूप में शूद्र योनि में जन्म लेना पड़ा. आइए जानते हैं कि 14 साल तक के बच्चों को श्राप क्यों नहीं लगता है? इसकी कथा क्या है?
मांडव्य ऋषि को शूली पर चढ़ाया
राजा ने मांडव्य ऋषि को शूल से उतारा
जब राजा को मांडव्य ऋषि के शूल पर होने की बात पता चली तो उसने उनसे निवेदन किया कि आप प्रसन्न हों. अज्ञानतावश जो भी अपराध हुआ है, उसकी वजह से क्रोध न करें. मांडव्य ऋषि ने उस राजा को क्षमा कर दिया और प्रसन्न हो गए तो राजा ने उनको शूल से उतार दिया. राजा ने उस शूल के अगले भाग को मांडव्य ऋषि के शरीर से बाहर खिंचने की कोशिश की, लेकिन असफल होने पर उसने शूल के अंत सिरे को काट दिया. तब से मांडव्य ऋषि शूल के अगले हिस्से को अपने शरीर के अंदर ही लेकर घूमने लगे. उस शूल के कारण ही मांडव्य ऋषि को अणी मांडव्य कहा जाने लगा.
यमराज ने बताया मांडव्य ऋषि का अपराध
12 वर्ष की आयु में किया था अपराध
यमराज को मिला श्राप, बच्चे 14 साल तक पाप मुक्त
धर्मराज! तुमने मुझे थोड़े से अपराध के लिए बहुत बड़ा दंड दिया है, ब्राह्मण का वध संपूर्ण प्राणियों के वध से भी अधिक भयंकर है. इस वजह से तुम मनुष्य होकर शूद्र योनि में जन्म लोगे. आज से संसार में धर्म के फलों को प्रकट करने वाली मर्यादा स्थापित करता हूं. 14 वर्ष तक की आयु तक किसी को भी पाप नहीं लगेगा. उससे अधिक की आयु में पाप करने वालों को ही दोष लगेगा. मांडव्य ऋषि के श्राप के कारण ही धर्मराज यमराज को विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा.