इस डिश के आगे चिकन, मटन और फिश भी फेल! बिना तेल-मसालों के इस खास बेस से होती है तैयार

Saharsa: बिहार का एक ऐसा इलाका है जो अपने अनोखे पकवान के लिए जाना जाता है. यह गांव सहरसा–मानसी रेलखंड के धमारा घाट पर है, जहां आपको दर्जनों झोपड़ी जैसे होटल दिखेंगे. इन होटलों में एक खास पकवान तैयार होता है, जिसके सामने मटन, चिकन और मछली भी फीके लगते हैं. इस व्यंजन की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें न तो तेल का इस्तेमाल होता है और न ही ज्यादा मसालों का, फिर भी इसका स्वाद इतना लाजवाब होता है कि लोग दीवाने हो जाते हैं.
क्रीम से बनती है ये खास सब्जी
लोकल 18 की टीम जब इस पकवान का स्वाद लेने सहरसा से करीब 32 किलोमीटर दूर धमारा घाट पहुंची, तो उन्होंने झोपड़ीनुमा होटल में जाकर इसकी पूरी जानकारी ली. यहां क्रीम सब्जी के साथ-साथ क्रीम चावल भी तैयार किया जाता है, और वह भी आपकी आंखों के सामने. क्रीम यानी दूध से निकाली गई मलाई, जिसे सब्जी में मिलाया जाता है.
बिना तेल और मसाले की लाजवाब डिश!
इस डिश की खास बात यह है कि इसमें न तो तेल की जरूरत होती है और न ही भारी मसालों की , फिर भी इसका स्वाद इतना बेहतरीन होता है कि खाने वाले उंगलियां चाटते रह जाते हैं. यही वजह है कि यहां रोज ट्रेन के चालक, रेल अधिकारी और अन्य यात्री भी इस व्यंजन का स्वाद चखते हैं.
क्या है इसकी रेसिपी और प्रसिद्धि का राज?
सब्जी बनाने की विधि काफी आसान है, ये केवल 10 से 15 मिनट में यह बनकर तैयार हो जाती है. चावल में भी क्रीम मिलाई जाती है, जिससे उसका स्वाद और भी बढ़ जाता है. होटल संचालकों के मुताबिक, आसपास के लोग तो नियमित रूप से इस व्यंजन का आनंद लेते ही हैं, लेकिन दूसरे जिलों से गुजरने वाले यात्री भी यहां रुककर इसका स्वाद जरूर चखते हैं.
35 साल से चल रही परंपरा, दूध की नगरी बना धमारा घाट
होटल संचालक मिथिलेश कुमार बताते हैं कि वे पिछले 35 सालों से ये होटल चला रहे हैं और तभी से क्रीम वाली सब्जी बना रहे हैं. उनके अनुसार, इस क्षेत्र में दूध का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है. यहां के पशुपालक रोज दूध लाकर बड़ी भट्टियों पर गर्म करते हैं और यहीं से दूध अलग-अलग जिलों में सप्लाई होता है. यही वजह है कि यह इलाका ‘दूध की फैक्ट्री’ के नाम से भी जाना जाता है.
कितना होता है रेट
दूध की अधिकता के कारण यहां क्रीम यानी मलाई आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जिसे पकवान में इस्तेमाल किया जाता है. इस सब्जी में किसी तरह की मिलावट नहीं होती. इसमें न तो तेल डाला जाता है, न ही तीखे मसाले, फिर भी इसका स्वाद लाजवाब होता है. धमारा घाट पर दर्जनों झोपड़ी जैसे होटल हैं, जहां यह पकवान रोज बनता है. कुछ लोग तो खुद से सब्जी लेकर आते हैं और वही ताज़ा क्रीम सब्जी बनवाते हैं. एक प्लेट की कीमत ₹50 होती है, जबकि क्रीम (या घी) का रेट अलग तय किया जाता है.