Kachora sold here not by piece but by kilo know details

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अक्सर आपने कचौड़ी या कचौड़ी पीस के हिसाब ये खाया होगा. लेकिन क्या आपने कभी किलो के लिए हिसाब से कचौड़ा लिया है? आज आपको अजमेर के ऐसे ही कचौड़े के बारे में बताने वाले हैं.

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कचौरे

कचौरे की वजह से भी प्रसिद्ध है नसीराबाद

हाइलाइट्स

  • नसीराबाद के कचौरे का वजन 600-650 ग्राम होता है.
  • कचौरे 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचे जाते हैं.
  • नसीराबाद के कचौरे कई हलवाइयों की आय का मुख्य साधन हैं.

अजमेर:- राजस्थान के अजमेर जिले से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नसीराबाद एक ऐतिहासिक छावनी क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है. लेकिन इसकी पहचान सिर्फ सैन्य महत्व तक सीमित नहीं है. नसीराबाद का नाम जब भी लिया जाता है, तो यहां के खास कचौरे का जिक्र जरूर होता है. जिले का नसीराबाद अपने अनोखे स्वाद और पारंपरिक व्यंजनों के कारण देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है.

दूर- दराज से लोग आते हैं स्वाद चखने 
यहां बनने वाले कचौरे केवल एक व्यंजन नहीं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन चुके हैं. इन कचौरों का स्वाद इतना लाजवाब होता है कि लोग इसे चखने के लिए दूर-दराज़ से यहां आते हैं. चाहे सुबह की चाय के साथ हो या शाम की भूख मिटाने के लिए, नसीराबाद के कचौरे हर मौके को खास बना देते हैं.

650 ग्राम होता है कचौरे का वजन
40 सालों से कचौरा बना रहे किशोर सिंह लोकल 18 को बताते हैं कि नसीराबाद में कचौरा उनके दादा परदादा के समय से बनाया जा रहा है. आलू और उड़द की दाल से बनने वाले 10 से 12 इंच के कचौरे का साइज और स्वाद आज तक बरकरार है. वे बताते हैं कि इस कचौरे का वजन करीब 600 से 650 ग्राम होता है.

किलो के हिसाब से होती है बिक्री
किशोर आगे बताते हैं कि इसे एक नग के हिसाब से नहीं, बल्कि 250 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. इसका स्वाद लोगों में इस तरह बेशुमार है कि दूर-दूर से लोगों की भीड़ सुबह-सुबह यहां पर उमड़ पड़ती है. नसीराबाद के मुख्य बाजार रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर इसकी सबसे ज्यादा बिक्री होती है. कुछ लोग तो इसको ऑनलाइन ऑर्डर कर कर भी मंगवाते हैं.

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हलवाइयों की आय का मुख्य साधन 
किशोर बताते हैं कि नसीराबाद में बनने वाले कचौरे ने कई लोगों को रोजगार दिया है. यह कचौरा नसीराबाद के कई हलवाइयों की आय का मुख्य साधन है . नसीराबाद की गलियों में कई लोग ठेले और छोटी दुकानों पर कचौरा बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं.

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