बड़े मंगल पर विशेष: कौन-कौन से देवताओं ने हनुमानजी को दिए थे चमत्कारी वरदान, जानें

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ज्येष्ठ मास का महीना चल रहा है और इस मास के सभी मंगलवार को बड़े मंगल कहा जाता है. अब तक चार बड़े मंगल का व्रत किया जा चुका है और हनुमानजी को समर्पित यह दिन बेहद पवित्र और खास माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बड़े मंगल के दिन हनुमानजी की पूजा अर्चना करने से ना सिर्फ शनि के दोष से मुक्ति मिलती है बल्कि जीवन में रहीं परेशानियों से भी राहत मिलती है. हनुमानजी को अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता कहा जाता है और ये सभी सिद्धियां हनुमानजी को माता सीता से मिली थीं. माता सीता के साथ हनुमानजी को अनेक देवताओं, ऋषियों और भगवानों से दिव्य वरदान प्राप्त हुए, जिनके कारण वे अजर, अमर, बलवान, बुद्धिमान और अत्यंत प्रभावशाली बने. आइए जानते हैं हनुमानजी को किसने क्या वरदान दिए…

इंद्रदेव ने दिया वरदान
जब हनुमान बाल अवस्था में सूर्य को फल समझकर निगलने उड़ गए, तब इंद्रदेव ने अपने वज्र से उन पर प्रहार किया, जिससे हनुमानजी अचेत हो गए. इंद्रदेव के इस प्रहार से पवनदेव क्रोधित होकर सारी वायु को रोक दी, जिससे त्रिलोक में हाहाकार मच गया. तब इंद्र ने माफी मांगी और वरदान दिया कि उनके वज्र का प्रभाव अब कभी नहीं होगा और हनुमान अजर-अमर रहेंगे.

पवनदेव ने दिया वरदान
हनुमानजी को पवनपुत्र भी कहा जाता है. जब बाल हनुमानजी पर इंद्र ने प्रहार कर दिया तो इस देखकर पवनदेव ने क्रोध प्रकट किया था. बाद में उन्होंने हनुमान को आशीर्वाद दिया कि वे सारे लोकों में सबसे बलवान और वेगवान होंगे और किसी भी परिस्थिति में उनकी प्राणशक्ति नष्ट नहीं होगी.

अग्निदेव ने दिया वरदान
हनुमानजी को अग्नि में ना जलने का वरदान अग्निदेव ने दिया. यही कारण है कि लंका दहन के समय वे जलते नहीं बल्कि खुद लंका को जलाकर लौट आते हैं.

वरुणदेव ने दिया वरदान
वरुणदेव ने हनुमानजी को वरदान दिया कि पानी कभी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जिससे वे जल में भी सहज रह सकते हैं.

हिमालय पर्वत ने दिया वरदान
हिमालय ने वरदान दिया कि हनुमानजी को पर्वतों जैसी स्थिरता, धैर्य और शक्ति प्राप्त होगी. उनके शरीर में कोई भी अस्त्र-शस्त्र असर नहीं करेगा.

ब्रह्माजी ने दिया वरदान
ब्रह्माजी ने हनुमानजी को वरदान दिया कि वे जब चाहें अदृश्य हो सकते हैं और उन्हें शब्द, मंत्र, या अस्त्र कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. ब्रह्मास्त्र भी उन्हें बांध नहीं सकता और अगर बांधे भी तो कुछ ही समय में मुक्त हो जाएंगे.

शिवजी ने दिया वरदान
हनुमानजी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार माना जाता है. अतः उनकी शक्तियों में शिवतत्व की झलक मिलती है – असीम ऊर्जा, भक्ति और ब्रह्मचर्य. साथ ही शिवजी से वीर बजरंगबली को अमोघ शक्ति, अमरता और चिरंजीव रहने का वरदान प्राप्त है.

सरस्वती देवी ने दिया वरदान
देवी सरस्वती ने हनुमानजी को वरदान दिया कि उनकी वाणी में प्रभाव और ज्ञान होगा, जिससे वे किसी को भी प्रेरित कर सकेंगे.

सूर्यदेव ने दिया वरदान
हनुमानजी ने सूर्य देव को गुरु मानकर शिक्षा प्राप्त की थी. सूर्यदेव ने हनुमानजी को पूर्ण ज्ञान, युक्त बुद्धि और विवेक का वरदान दिया.

सप्तर्षि-मुनिगण ने दिया वरदान
जब बाल हनुमान मुनियों से शरारत करते थे, तो उन्होंने उन्हें शाप भी दिया कि वे अपनी शक्तियों को भूल जाएंगे, लेकिन साथ ही वरदान दिया कि जब कोई उन्हें याद दिलाएगा, तभी वे शक्तियों को पहचानेंगे. यही रामायण में जामवंत ने किया.

🕉️ तुलसीदास जी द्वारा वर्णित:
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
माता सीता ने उन्हें आठ सिद्धियां (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नव निधियां (धन-संपत्ति) का वरदान दिया.

चिरंजीवी का वरदान भी प्राप्त
हनुमानजी को चिरंजीवी यानी जो अनंतकाल तक जीवित रहेंगे, ऐसा वरदान प्राप्त है. उन्हें सप्त चिरंजीवी में एक माना गया है और ये चिरंजीवी हैं- अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम.

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