ट्रायल पर डाला था मेन्यू में, लेकिन अब लोग बार-बार पूछते हैं‘घुटमा आलू है न? वायरल हुई MP की ये डिश

फास्ट फूड और इंस्टेंट रेसिपीज़ के दौर में भी कुछ पारंपरिक स्वाद ऐसे हैं जो पीढ़ियों को जोड़ते हैं. ऐसा ही स्वाद है घुटमा आलू करी. एक देसी, साधारण और कम खर्चे में बनने वाली सब्ज़ी, जिसने मध्यप्रदेश की रसोई से निकलकर अब सोशल मीडिया, होटल और शहरी मेन्यू तक अपनी जगह बना ली है.
क्या है ‘घुटमा आलू करी’?
नाम जितना देसी, तरीका भी उतना ही पारंपरिक.
उबले आलू को हाथ से दबाकर “घुटा” जाता है, फिर देसी मसाले – प्याज़, टमाटर, लहसुन, जीरा, हल्दी, मिर्च के साथ इसे पकाया जाता है. इस डिश का स्वाद तीखा, चटपटा और ज़ुबान पर चढ़ने वाला होता है जो रोटी, पूरी या बाजरे की रोटी के साथ बेमिसाल लगता है.
गांवों से शहरी रसोई तक सफर
ग्वालियर-चंबल अंचल से निकली ये डिश अब मालवा-निमाड़, भोपाल, इंदौर, जबलपुर और सागर तक लोकप्रिय हो चुकी है. पहले ये केवल ग्रामीण रसोइयों तक सीमित थी, लेकिन अब शहरी ढाबों और होटलों में भी डिमांड परोसी जा रही है.
खंडवा की गृहिणी देवकी बाई कहती हैं कि ये हमारी परंपरा रही है, लेकिन अब सोशल मीडिया ने इसे पूरे राज्य की पहचान बना दिया है.
सोशल मीडिया पर भी मचा धमाल
वर्ल्ड पोटैटो डे पर कई फूड ब्लॉगर और यूट्यूबर ने ‘घुटमा आलू करी’ की रेसिपी शेयर की. इंदौर के एक इंस्टा फूड पेज पर 1.5 लाख व्यूज़ मिले – लोग कमेंट कर-कर के अपनी रेसिपी शेयर करने लगे.
होटल संचालक तंतु उस्ताद कहते हैं कि हमने इसे ट्रायल पर मेन्यू में डाला था, लेकिन अब लोग बार-बार पूछते हैं – ‘घुटमा आलू है न?’ इसलिए इसे स्थायी बना दिया है.”
सेहत और स्वाद दोनों में बेमिसाल
इसमें तेल-घी कम, मसाले संतुलित और आलू उबला होने के कारण यह डिश पेट के लिए हल्की होती है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए ये आदर्श भोजन है.
परंपरा से ट्रेंड तक
‘घुटमा आलू करी’ अब सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक पहचान बनती जा रही है – जैसे महाराष्ट्र में पावभाजी और पंजाब में छोले-भटूरे.
आशा है कि आने वाले समय में यह व्यंजन राज्य के ट्रेडिशनल फूड ब्रांड के तौर पर उभरेगा.
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