Bageshwar News : भूल जाएंगे काला नमक-मंसूरी, काजू-बादम को टक्कर दे रहा पहाड़ों का ये चावल

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Bageshwar news in hindi : इस चावल में फाइबर, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स होते है. इसके सेवन से शरीर को जरूरी पोषण मिलता है. पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और हृदय रोगों का खतरा भी कम होता है.

लाल चावल
हाइलाइट्स
- इसमें फाइबर, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स होते हैं.
- लाल चावल पाचन क्रिया दुरुस्त रखता है और हृदय रोगों का खतरा कम करता है.
- बागेश्वर में लाल चावल 120-300 रुपये प्रति किलो बिकता है.
Red Rice Nutritional Benefits/बागेश्वर. उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे पहाड़ी जिले की पहचान सिर्फ यहां की खूबसूरत वादियों और मंदिरों से ही नहीं, बल्कि यहां उगने वाले पारंपरिक और जैविक अनाजों से भी है. लाल चावल इन्हीं अनाजों में से एक है. यह चावल अपने गहरे रंग, खास सुगंध और औषधीय गुणों के कारण अब देशभर में लोकप्रिय हो रहा है. लाल चावल से बनी खीर को यहां की पारंपरिक पहाड़ी थाली का खास हिस्सा माना जाता है. लाल चावल सामान्य सफेद चावल की तुलना में अधिक पौष्टिक होता है. इसमें फाइबर, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर मात्रा होते है. विशेषज्ञों के अनुसार, लाल चावल का सेवन करने से शरीर को जरूरी पोषण मिलता है. पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और हृदय रोगों का खतरा भी कम होता है. यही कारण है कि अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग लाल चावल को अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं.
इतने रुपये किलो
बागेश्वर की रहने वालीं संतोष देवी लोकल 18 से कहती हैं कि बागेश्वर जिले के सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाने वाला यह चावल पूरी तरह जैविक होता है. बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक के तैयार होने वाला यह अनाज मिट्टी की प्राकृतिक शक्ति और शुद्ध पानी की देन है. पहाड़ की ऊंचाई और वहां की जलवायु इस चावल को खास स्वाद और खुशबू प्रदान करते हैं, जो मैदानी इलाकों में उगने वाले चावलों में नहीं मिलती. बागेश्वर में यह चावल मेलों, हाट-बाजारों और ‘सरस मार्केट’ में आसानी से उपलब्ध है. यहां के किसान इसे 120 रुपये से लेकर 300 रुपये प्रति किलो तक बेचते हैं. कई स्थानों पर इसे ऑर्डर पर भी उपलब्ध कराया जाता है.
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आयोजनों का फेवरेट
इस चावल से बनी खीर बागेश्वर की पारंपरिक रेसिपी में गिनी जाती है. इसे दूध, गुड़ या शक्कर, और इलायची डालकर पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी अधिक बढ़ जाता है. त्योहारों, खास आयोजनों या घर में किसी विशेष मेहमान के स्वागत में लाल चावल की खीर जरूर बनाई जाती है. बागेश्वर के ग्रामीण इलाकों में इसे औषधीय चावल भी कहा जाता है. बुजुर्गों का मानना है कि यह चावल शरीर की कमजोरी दूर करता है और सर्दियों में इसे खाने से शरीर गर्म रहता है. आज जब लोग मिलावटी और प्रोसेस्ड फूड से दूर भाग रहे हैं. ऐसे में लाल चावल जैसे प्राकृतिक और परंपरागत उत्पाद लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं. इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए अब बागेश्वर के किसान इसकी खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.