मुमताज का खुलासा, ‘मीना कुमारी को पता था उनकी मौत जल्दी होगी..’ दिवालिया नहीं, 1972 में इस वजह से बेचा था अपना घर

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नई दिल्लीः मीना कुमारी भारतीय सिनेमा का वो नाम है जो इतिहास के पन्नों पर हमेशा याद किया जाएगा. भले ही वो अब जीवित न हों लेकिन उनके किस्से कहानियां लोगों के जेहन में अब भी जगह बनाए हुए हैं. उनका स्टारडम जितना बड़ा था, उतनी लंबे उन्हीं उम्र नसीब नहीं हो सकी. लेकिन कम वक्त में ही उन्होंने काफी कुछ हासिल किया और 38 की उम्र में जल्द ही वे दुनिया से रुख्सत हो गईं. लेकिन क्या आप जानके हैं कि अभिनेत्री को अपनी मौत की जानकारी जिंदा रहते ही मालूम थी. उन्हें पता कि वे जल्द ही इस दुनिया को अलविदा कह देंगी और इसलिए उन्होंने कुछ चीजें पहले से प्लानिंग के तहत की थीं. हाल ही में इस बारे में मीना कुमारी की दोस्त मुमताज ने इस किस्से के बारे में काफी कुछ शेयर किया है.

क्या अपनी आखिरी फिल्म को पूरा करने के लिए बेचा था मीना कुमारी ने अपना बंगला?
साल 1972 में, निर्माता सावन कुमार टाक ने एक नए प्रोजेक्ट ‘गोमती के किनारे’ को करने की घोषणा की. फिल्म की स्टार मीना कुमारी ने जोर देकर कहा था कि वे फिल्म का निर्देशन भी करें. वो तब शराब की लत से जूझ रही थीं और उनका स्वास्थ्य भी खराब हो गया था. मीना की बिगड़ती सेहत ने फिल्म की शूटिंग को आगे बढ़ा दिया, जिससे सावन के पास पैसे नहीं बचे. लिहाजा अपनी दोस्त की मदद करने के लिए, मीना कुमारी ने अपना बांद्रा बंगला बेचने का फैसला किया, जिसे आखिरकार उनकी को-स्टार मुमताज ने खरीद लिया था. मीना कुमारी के इस फैसले ने उनके दिवालिया होने की अटकलों को हवा दी थी. जी हां, कुछ लोगों ने दावा किया कि वो दिवालिया हो गई हैं, दूसरों ने कहा कि मुमताज ने मीना की संपत्ति खरीदकर उनकी मदद की है. अब, मुमताज ने कहानी का अपना एडिशन साझा करके इन दावों पर प्रतिक्रिया दी है.

मुमताज ने ही क्यों खरीदा था मीना कुमारी का आलीशान घर?
रेडियो नशा के साथ एक बातचीत में, मुमताज ने साझा किया, ‘इस घटना के बारे में बहुत सी गलतफहमियां हैं, वास्तव में क्या हुआ, यह बताते हुए, मुमताज ने कहा, ‘सावन कुमार टाक उनके अच्छे दोस्त थे. फिल्म बनाते समय, प्रोजेक्ट को कुछ वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा था और तब धन की कमी थी.’ मुमताज को अभी तक उनकी फीस नहीं दी गई थी. उन दिनों मैं प्रति फिल्म 7.5 लाख रुपए लेती थी. मैं सबसे ज्यादा पैसे लेने वाली अभिनेत्री थी. मुझे अभी तक लगभग 5 लाख रुपए देने थे. इसी दौरान, जब मीना कुमारी बहुत बीमार थीं, तो उन्होंने पूछा, ‘मुमताज, क्या तुम्हें बुरा लगेगा अगर मैं तुम्हें तुम्हारे बकाया पैसे के बदले अपना बंगला दे दूं?’ पहले तो मैं हिचकिचाई, क्योंकि यह घर उसने खुद के लिए बनवाया था, लेकिन वो कहती रही कि वो अपनी बीमारी के कारण ज्यादा दिन नहीं रह पाएगी. आखिरकार मैंने उसे ले लिया.’

मीना कुमारी को था अपनी मौत का आभाष
मुमताज ने आगे बताया, ‘सभी खबरें जो दावा करती हैं कि वो दिवालिया हो गई हैं और इसलिए उसने अपना बंगला बेच दिया, वे सब झूठी हैं. वो जानती थी कि उसका कोई परिवार नहीं है, इसलिए उसने सोचा कि उसे वो बंगला मुझे दे देना चाहिए, बजाय इसके कि उसे छोड़ दिया जाए. मुझे लगता है कि वो घर मेरे लिए काफी लकी था. मैंने वहां रहने के बाद अपने करियर में अच्छा प्रदर्शन किया.’

1972 में हुई थी मीना कुमारी की मौत
इससे पहले, इस घटना के बारे में बात करते हुए, सावन कुमार टाक ने फिल्मफेयर को बताया, ‘मैंने मीना कुमारी से कहा, ‘शूटिंग में देरी की वजह से, मेरे सारे पैसे खत्म हो गए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘चिंता मत करो.’ मुझे डेढ़ लाख रुपए की जरूरत थी. पांच-छह दिन बाद, उन्होंने मुझे यह कहते हुए रकम दे दी, ‘मैं तुम्हें दान नहीं दे रही हूं. तुम पैसे वापस कर सकते हो.’ बाद में, मुझे पता चला कि उन्होंने मुझे वो पैसे देने के लिए बांद्रा में अपना बंगला मुमताज को बेच दिया था.’ मार्च 1972 में उनकी मृत्यु के बाद गोमती के किनारे उनकी आखिरी रिलीज थी. हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली.
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