91 साल की मशहूर सिंगर की वजह से पाकिस्तान से भारत आए अदनान सामी, अपने मुल्क में खत्म हो गया था सिंगर का करियर

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नई दिल्लीः मूल रूप से पाकिस्तान से आए अदनान सामी ने 2016 में भारतीय नागरिकता ले ली थी. अदनान ने खुलासा किया कि उन्होंने भारत में अपना करियर बनाने का फैसला सिर्फ पैसे के लिए नहीं किया, बल्कि इसलिए किया क्योंकि वे पाकिस्तान में निराश महसूस करते थे. हाल ही में एक इंटरव्यू में, उन्होंने बताया कि कैसे आशा भोसले ने उन्हें यहां आने के लिए प्रेरित किया जब वे पूरी तरह निराश थे.

उन्होंने यह भी बताया कि कैसे आशा भोसले ने उन्हें मुंबई में घर जैसा महसूस कराया जब उन्होंने ‘कभी तो नजर मिलाओ’ में साथ काम किया. उसके बाद, बाकी सब इतिहास है क्योंकि उन्हें यहां बहुत प्यार और शोहरत मिली. इंडिया टीवी के साथ एक नए इंटरव्यू में, गायक अदनान सामी ने अपने निजी संघर्षों के बारे में बताया, जिसके कारण उन्हें पाकिस्तान से भारत में अपना म्यूजिक का सफर तय करना पड़ा, एक ऐसा कदम जिसने आखिरकार उनके करियर को फिर से परिभाषित किया.

जब आशा भोसले से सामी ने शेयर किया अपना दुख
सामी ने निराशा के साथ उस दौर को याद करते हुए कहा, ‘1998 में जब मैंने कुछ गाने रिलीज किए, तो पाकिस्तानी म्यूजिक इंडस्ट्री के लोगों ने तय कर लिया कि अब मेरा काम खत्म हो गया है.’ उन्होंने एल्बम को प्रमोट करने की भी जहमत नहीं उठाई. कोई मार्केटिंग नहीं थी, कुछ भी नहीं. यह रिलीज हुआ और किसी को पता भी नहीं चला. यह ऐसे गायब हो गया जैसे कभी था ही नहीं. इससे मैं वाकई टूट गया.’ उस समय, सामी कनाडा में रह रहे थे, उस इंडस्ट्री से मिले धोखे को झेल रहे थे जिसने कभी उन्हें अपनाया था. सामी ने आगे बताया, ‘मुझे पता था कि उन्होंने यह जानबूझकर किया है. इस अहसास ने मुझे बहुत ज्यादा झकझोर दिया.’ उम्मीद की तलाश में, सामी एक महान हस्ती, आशा भोसले की ओर मुड़े, जिन्होंने उनके साथ 1997 के एल्बम बदलते मौसम के लिए सदाबहार ‘कभी तो नजर मिलाओ’ गाया था. मैंने आशा जी से कहा, ‘मैं निराश हूं. मुझे लगता है कि घर पर लोगों ने मेरे साथ काम न करने का मन बना लिया है, जिसकी वजह मुझे भी नहीं पता.’ मैंने उनसे पूछा कि क्या हम लंदन में साथ में कुछ रिकॉर्ड कर सकते हैं?
उनके जवाब ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी. लंदन क्यों?’

आशा की एक जवाब से बदली सामी की किस्मत
सामी ने बताया, आशी जी ने मुझसे पूछा. मैंने कहा, ‘मैं वहां कुछ लोगों को जानता हूं, शायद मैं उनके साथ काम कर सकूं.’ और उन्होंने कहा, ‘देखो, अगर तुम वाकई कुछ बेहतर करना चाहते हो, तो मुंबई आओ. यह हिंदी संगीत की राजधानी है. अगर यहां कुछ काम करता है, तो यह वैश्विक हो जाता है. यह वो जगह है जहां जादू होता है.’ प्रेरित होकर, सामी ने कदम बढ़ा दिया. इसके बाद सामी ने बताया, ‘मैं बोरिया बिस्तर लेकर मुंबई पहुंच गया.’ उन्होंने उस पल को याद करते हुए हंसते हुए कहा, जब वो शहर में उम्मीद और अपने संगीत के अलावा कुछ भी नहीं लेकर आए थे. ‘आशा जी और उनके पूरे परिवार ने मेरा अपने जैसा ख्याल रखा.’ उन्होंने बताया कि कैसे भोसले ने उन्हें सिर्फ पेशेवर समर्थन से ज्यादा दिया, उन्होंने उन्हें एक आश्रय दिया. उन्होंने मुझे आरडी बर्मन के घर में ठहराया. एक संगीतकार के लिए, वो जगह एक मंदिर की तरह थी. मैं बहुत भाग्यशाली था.’

सामी के लिए मुंबई एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ
पाकिस्तान में गुमनामी में खो चुके गीतों को भारत में नया जीवन और अपार सफलता मिली. मुंबई में उनके ‘कभी तो नजर मिलाओ’, ‘भीगी भीगी रातों में’, ‘लिफ्ट करादे’, यहां इनकी शानदार मार्केटिंग की गई. बाकी, जैसा कि वे कहते हैं, इतिहास है. सामी ने कहा, ‘मुझे जो प्यार और स्वीकृति मिली… मैंने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी.’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नुसरत फतेह अली खान, मेहदी हसन और रेशमा जैसे महान कलाकारों ने पाकिस्तान में प्यार कमाया, लेकिन उनकी असली लोकप्रियता बाहर आसमान छू रही थी. ‘आप इससे इनकार नहीं कर सकते, यहां के दर्शक बहुत ज़्यादा हैं. संगीत के प्रति रवैया, संगीतकारों के प्रति सम्मान, यह बेजोड़ है.’

पाकिस्तानी आर्टिस्टों के लिए भी सामी ने प्रतिक्रिया
लेकिन उन्होंने कई पाकिस्तानी दिग्गजों के सामने आई दर्दनाक सच्चाई को उजागर करने से परहेज नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘दुनिया ने मेहदी हसन साहब और रेशमा जी को प्यार किया, लेकिन उनके अंतिम दिन दुखद थे. सिस्टम से कोई समर्थन नहीं, कोई मदद नहीं. बस भुला दिए गए और उनके जैसे बहुत से और लोग हैं, सिर्फ गायक ही नहीं, बल्कि अभिनेता भी.’ 2005 में तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा अपने पिता को लिखे गए कुख्यात पत्र को संबोधित करते हुए, जिसमें उन पर पाकिस्तान के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया गया था, सामी ने दृढ़ता से जवाब दिया. उन्होंने स्पष्ट किया, ‘उस पत्र में कोई सच्चाई नहीं थी. साल 2005 में, मैं अभी भी एक पाकिस्तानी नागरिक था, मैं अभी तक भारतीय भी नहीं बना था.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि किसने उन्हें गलत जानकारी दी, लेकिन स्पष्ट रूप से, कुछ गलत बात चेन तक पहुंच गई थी. और बस ऐसे ही, सभी ने मुझसे मुंह मोड़ लिया.’ ईमानदारी और विनम्रता के साथ, अदनान सामी की कहानी सिर्फ संगीत के बारे में नहीं है, यह एक ऐसी जगह पर घर, सम्मान और प्यार पाने के बारे में है जहाँ उन्हें इसकी सबसे कम उम्मीद थी.

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